Shri prannath ji kahani kary
Shree Prannathji Jagni Abhiyan हे सुंदरसाथजी ! इस जागनी कार्य में जुद कर अपना महत्तवपूर्ण योगदान प्रदान करें। प्रणाम प्यारे सुंदरसाथजी, महामति श्री प्राणनाथ जी द्वारा जो जागनी कार्य शुरु किया गया था उसे अब हमें आगे बढाना है। याद करों सुंदरसाथजी परमधाम का वो संवाद जब हमने अपने धा्मधनी जी से इस दुखरुपी जगत का खेल देखने की चाह की थी और हमारे धनी के तीन बार मना करने के बावजूद भी हमने उनकी एक ना मानी और एक दूसरे से ये वादा किया था की अगर में भूलु तो तुं मुझे दियो जगाए और तुं भूली तो में दियो तोहे जगाए। हे सुंदरसाथजी ! आज यहां इस संसार में हमारी कई सखीयां इस माया के खेल में फंस कर अपने मूल घर परमधाम को और अपने प्रियतम धामधनी को भी भुल गई है। हमें उन्हें जगाना है। अपने साथ उन्हें अपने मुल घर परमधाम ले जाना है। तो हे सुंदरसाथजी ! इस जागनी कार्य में जुद कर अपना महत्तवपूर्ण योगदान प्रदान करें। मेरें मिठे बोलें साथजी, हुआ तुम्हारा काम । प्रेम में मगन होईयों, खुलियां दरवाजा धाम ॥ Mission: JAGO SUNDERSATHJI JAGO or JAGAO..... SUKH SH*TAL KARU SANSAAR Pr...